Jodhpuri headscarf - former Justice Vyas, symbol of pride and bravery. गर्व और शौर्य का प्रतीक जोधपुरी साफ़ा-पूर्व जस्टिस व्यास।

भूतनाथ में निःशुल्क साफ़ा प्रशिक्षण शिविर का हुआ समापन, युवाओं में दिखा खासा उत्साह

जस्टिस व्यास ने भी सीखा साफ़ा बांधना

जोधपुरजोधपुरी साफ़ा, राजस्थान की संस्कृति और गौरव का प्रतीक है। यह केवल एक वस्त्र नहीं, अपितु शौर्य और परंपरा का प्रतीक है। यह बात राजस्थान उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश और राज्य मानवाधिकार आयोग के पूर्व अध्यक्ष, जस्टिस गोपाल कृष्ण व्यास ने कही। उन्होंने भूतनाथ मंदिर के पार्क में पुष्करणा सृजन सोसायटी और पुष्करणा चिंतन द्वारा आयोजित चार दिवसीय निःशुल्क साफ़ा प्रशिक्षण शिविर के समापन समारोह में अपने विचार व्यक्त किए।

जस्टिस व्यास ने कहा, "आज के दौर में, पाश्चात्य संस्कृति और सोशल मीडिया के प्रभाव से हमारी संस्कृति और परंपराएँ धीरे-धीरे कमज़ोर हो रही हैं। युवाओं को अपनी जड़ों से जोड़े रखना बेहद ज़रूरी है और साफ़ा बांधना इस दिशा में एक छोटा सा, लेकिन महत्वपूर्ण कदम है।" उन्होंने पुष्करणा सृजन सोसायटी के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि आधुनिकता के इस दौर में संस्कृति को जीवित रखने के उनके प्रयास सराहनीय हैं।

शिविर संयोजक सोमदत्त हर्ष ने बताया कि भारतीय नववर्ष के उपलक्ष में आयोजित इस शिविर में युवाओं और बुज़ुर्गों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। प्रशिक्षण में ख्यातनाम साफ़ा प्रशिक्षक मनोज बोहरा और उनकी टीम ने जोधपुरी पेच सहित कई तरह के साफ़े बांधने की कला सिखाई। बोहरा ने बताया कि वे वर्षों से यह प्रशिक्षण दे रहे हैं और हज़ारों लोगों को साफ़ा बांधना सिखा चुके हैं। उन्होंने कहा कि साफ़ा बांधना-सीखना बहुत आसान है, बस दो मिनट में पेच समझ आ जाता है, बाकी अभ्यास से ही परिपूर्णता आती है।

साफ़ा प्रशिक्षक बोहरा ने साफ़े के महत्व पर ज़ोर देते हुए कहा, "साफ़ा राजस्थान की आन, बान और शान का प्रतीक है।  जोधपुर के हर व्यक्ति को यह कला आनी चाहिए।"

समापन समारोह में सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय के पूर्व उपनिदेशक आनंदराज व्यास, इतिहासकार प्रो. जहूर खां मेहर, दुर्गादास राठौड़ स्मृति समिति के सचिव भागीरथ वैष्णव, डॉ. संजय कृष्ण व्यास, मारवाड़ सोशल मीडिया सहयोग संस्थान के सचिव आनंद जोशी, जोधपुर फ़ोटोग्राफ़र एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष लक्ष्मण सांखला, रामजी व्यास, प्रवीण मेहड़ सहित भूतनाथ मित्रमंडल के वरिष्ठ जन उपस्थित थे। शिविर में राज कुमार वर्मा, रमेश सिसोदिया, राहुल बोड़ा, अनिल बोहरा और मनीष जोशी ने भी सहयोग किया।

जस्टिस व्यास का अनुभव:

ख़ास बात यह रही कि राजस्थान मानवाधिकार आयोग के पूर्व अध्यक्ष जस्टिस गोपाल कृष्ण व्यास स्वयं भी इस शिविर में पहुँचे और जोधपुरी साफ़ा बांधना सीखा। उन्होंने कहा कि वह अपने आप को रोक नहीं पाए और इस उम्र में भी साफ़ा बांधना सीखने आ गए। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे अधिक से अधिक संख्या में साफ़ा बांधना सीखें और अपनी संस्कृति को आगे बढ़ाएँ। उन्होंने केसरिया बालम गीत भी गाया और साफ़े के महत्व पर प्रकाश डाला।

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