Half population ruled throughout the night in Jodhpur: Women dominate in Dhinga Gawar fair.जोधपुर में रातभर रहा आधी आबादी का राज: धींगा गवर मेला।

सख्त सुरक्षा व्यवस्था के बीच मनाया गया अनूठा धींगा गवर उत्सव; पुरुषों के प्रवेश पर रोक

कांतारा शिव अवतार और दक्षिण भारतीय देवी-देवताओं के स्वांग ने खींचा ध्यान

जोधपुर। बुधवार रात शहर एक अद्भुत नज़ारे का गवाह बना। अखंड सौभाग्य, सुहाग और महिला सशक्तिकरण का प्रतीक धींगा गवर मेला श्रद्धा, उल्लास और उमंग से सराबोर रहा। विश्व प्रसिद्ध इस उत्सव ने एक बार फिर अपनी अनूठी पहचान बनाई। गत वर्षों में बाहरी पुरुषों और युवाओं के प्रवेश को लेकर विवाद के बाद इस बार पुलिस प्रशासन ने सख्ती दिखाई। बाहरी पुरुषों के प्रवेश पर रोक लगाई गई, और भीतरी शहर में कुछ जगहों पर लगे डीजे और स्टेज भी हटवा दिए गए।

यह कदम पिछले वर्ष भोलावणी मेले के दौरान महिलाओं के साथ हुई बदसलूकी और छेड़छाड़ की घटनाओं के बाद उठाया गया। महिलाओं और उत्सव समितियों के पदाधिकारियों के साथ हुई बैठक में महिलाओं ने अपनी चिंताएं खुलकर रखीं और बाहरी तत्वों के प्रवेश पर रोक लगाने की मांग की। उन्होंने कहा कि यह उत्सव उनकी आस्था और परंपरा से जुड़ा है और बाहरी तत्वों से उनकी आस्था को ठेस पहुंचती है।

सोलह दिवसीय गवर पूजन अनुष्ठान के अंतिम दिन रात भर शहर में मस्ती और उल्लास का माहौल रहा। तीजणियां पुरुषों पर बेंतों से प्रहार करती हुई गवर माता के दर्शनार्थ घरों से निकलीं। इस बार कांतारा फिल्म में दिखाए गए भगवान शिव के तुल्लिका अवतार ने खासा ध्यान खींचा। इसके अलावा, दक्षिण भारत के देवी-देवताओं के भी कई स्वांग देखे गए। अयोध्या रामलला और दक्षिण भारत के देवी-देवताओं, नटराज, राम-हनुमान के स्वांग रचने वाली महिलाएं भी उत्सव का हिस्सा रहीं।पूरी रात सड़कों पर केवल मातृशक्ति का प्रभुत्व दिखाई दिया। कई स्थानों पर गणगौर माता की प्रतिमाएं विराजमान की गईं, जहां महिलाओं ने दर्शन कर पूजन किया। एक मान्यता यह भी है कि तीजणियों के हाथ की छड़ी जिस कुंवारे युवक पर लगती है, वह जल्द ही विवाह बंधन में बंध जाता है, इसीलिए इसे बेंतमार मेला भी कहा जाता है।

हाथी चौक, चाचा की गली और ब्रह्मपुरी सहित कई स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित किए गए। जूनी मंडी, पुंगलपाड़ा, सुनारों की घाटी आदि स्थानों पर भी गवर माता की प्रतिमाएं विराजमान की गईं। रात में महिलाओं के समूह विभिन्न देवी-देवताओं के स्वांग रचकर गवर गीत गाते हुए रिश्तेदारों के घरों पर गए। कई मोहल्लों में तीजणियों द्वारा धींगा गवर माता की चार प्रहर में आरती की गई। अंतिम आरती के बाद भोलावणी करके 16 दिन के पूजन का समापन हुआ।

चाचा की गली में धींगा गवर महोत्सव समिति के अध्यक्ष अनिल गोयल और महासचिव रतन पुरोहित ने बताया कि इस बार छह फीट की गवर माता विराजमान की गई। हाथी चौक में गवर माता को सोने के आभूषणों से सजाया गया। श्रीमाली ब्राह्मण समाज द्वारा आयोजित सोलह दिवसीय सामूहिक गणगौर पूजा में कई महिलाओं को पुरस्कृत भी किया गया।

धींगा गवर मेले के दौरान पुलिस का भारी जाब्ता तैनात रहा।  महिला पुलिस अधिकारियों और सिपाहियों के अलावा कालिका पेट्रोलिंग यूनिट की महिला सिपाही भी गश्त पर रहीं।  अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (पूर्व) वीरेन्द्रसिंह राठौड़ ने बताया कि बाहरी युवकों और पुरुषों के प्रवेश पर रोक लगाने के लिए परकोटे पर नाके लगाए गए थे। महिलाओं को सिर्फ बेंत ले जाने की अनुमति दी गई, बैसबॉल बैट ले जाने पर रोक लगाई गई और शराब पीने वालों की जांच के लिए ब्रेथ एनालाइजर का इस्तेमाल किया गया।

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