गवर माता की भव्य शोभायात्रा ने जोधपुर को किया मस्ती से सराबोर
पुष्पा-2 से लेकर लव जिहाद तक, झांकियों ने खींचा सबका ध्यान
जोधपुर। शहर चैत्र शुक्ल तृतीया गणगौर तीज के पश्चात् पीहर प्रवास से लौटी गवर माता की भोळावणी का सोमवार को भव्य आयोजन हुआ। सौभाग्य, सुहाग और सौहार्द के प्रतीक इस पर्व में शहरवासियों का उत्साह देखते ही बनता था। शाम को सजे-धजे शहर में शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें गवर प्रतिमाओं को जल अर्पण करने के बाद विदाई दी गई।
लगभग 50 से अधिक धार्मिक-सांस्कृतिक और समसामयिक घटनाओं पर आधारित झांकियाँ आकर्षण का केंद्र रहीं। गवर माता के पारंपरिक गीतों की गूँज से पूरा शहर गुंजायमान हो उठा। फगड़ा-घुड़ला कमेटी, सिटी पुलिस, खाण्डा फलसा गणगौर मेला समिति और आड़ा बाजार कुम्हारियां कुआं गणगौर कमेटी ने अलग-अलग स्थानों से आकर्षक झांकी वाली शोभायात्राएँ निकालीं। कमेटी के सदस्य पारंपरिक श्लोक गाते हुए चल रहे थे।
ओलंपिक रोड से फगड़ा-घुड़ला मेला भी निकाला गया। कमेटी के अध्यक्ष चंद्रमोहन गांधी और सचिव प्रीतम शर्मा ने बताया कि पुरुषों ने महिला वेश धारण कर, सिर पर घुड़ला रखकर, गहनों से लदकर शोभायात्रा में भाग लिया।
खाण्डा फलसा गणगौर मेला समिति की शोभायात्रा में भाजपा जिलाध्यक्ष राजेन्द्र पालीवाल और महापौर कुंती देवड़ा ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह शोभायात्रा सिरे बाजार होते हुए घंटाघर पहुँची जहाँ जलपान कर विश्राम हुआ। शोभायात्रा के अंतिम छोर पर 18 फुट की ट्रॉली में गवर माता ईसरजी के साथ राधा-कृष्ण की झांकी विराजमान थी।
आकर्षक झांकियाँ:
शोभायात्रा में कई आकर्षक झांकियाँ शामिल थीं, जिनमें नौपत, घोड़े, 21 ट्रैक्टर ट्रॉली, विशेष ठाकुरजी की पैदल झांकी, रिल हीरो "पुष्पा 2" की झांकी (जिसमें बॉम्बे से आई मोना डांसर ने शहरवासियों को अपने नृत्य से मंत्रमुग्ध कर दिया), खाटू श्याम जी की झांकी, छप्पन भोग की झांकी, मसानी माता महादेव की धार्मिक झांकियाँ और बॉलीवुड नृत्य पर आधारित झांकियाँ शामिल थीं। सामाजिक जागरूकता फैलाते हुए "लव जिहाद" पर आधारित झांकी भी मुख्य आकर्षण का केंद्र रही।
सोने से लदे फगड़ा:
सिटी पुलिस फगड़ा-घुड़ला कमेटी की ओर से फगड़ा बने माधव सोनी ने लगभग ढाई किलो सोने के आभूषण पहने हुए थे। वहीं, खाण्डा फलसा गणगौर समिति की ओर से मूक-बधिर संघ के सदस्य महेश बोराणा ने महिला वेश में 40 तोला सोने के आभूषण और 8 किलो की सुहाग पोशाक पहनी थी। भवानी कच्छवाहा ने भी महिला का स्वांग रचा।
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