जोधपुर में 76 वर्षीय बुजुर्ग से 4 लाख रुपये की साइबर ठगी, आईपीएस बनकर किया धोखा!
जोधपुर में 76 वर्षीय बुजुर्ग से 4 लाख रुपये की साइबर ठगी, आईपीएस बनकर किया धोखा!
"डिजिटल अरेस्ट" का डर दिखाकर ठगे पैसे, पुलिस जांच में जुटी
जोधपुर। शहर में साइबर अपराधों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। ताज़ा मामला जोधपुर के महामंदिर थाना क्षेत्र से सामने आया है जहाँ 76 वर्षीय सेवानिवृत्त बुजुर्ग चैन सिंह राठौड़ के साथ 4 लाख रुपये से अधिक की साइबर ठगी हुई है। ठगों ने खुद को आईपीएस अधिकारी बताकर बुजुर्ग को डिजिटल अरेस्ट होने का डर दिखाया और उनके बैंक खाते से पैसे ट्रांसफर करवा लिए।
मनी लॉन्ड्रिंग केस का झांसा देकर की ठगी
घटना 5 जनवरी को हुई जब बुजुर्ग को एक अज्ञात व्यक्ति ने वीडियो कॉल किया और खुद को आईपीएस अधिकारी राजेश प्रधान बताया। ठग ने बुजुर्ग को बताया कि उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज है और जांच के लिए उन्हें अपने बैंक खाते का पूरा पैसा एक दूसरे खाते में ट्रांसफर करना होगा। डर के मारे बुजुर्ग ने अपने एसबीआई, राईकाबाग ब्रांच के खाते से 4 लाख रुपये से अधिक की राशि आरटीजीएस के माध्यम से ठग के बताए खाते में ट्रांसफर कर दी।
ठग ने बुजुर्ग को आश्वासन दिया कि जांच पूरी होने के बाद एक घंटे में पैसे वापस कर दिए जाएंगे। लेकिन 6 जनवरी को हुई इस बातचीत के बाद 7 जनवरी तक पैसे वापस नहीं आए। इससे शक होने पर बुजुर्ग ने महामंदिर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है और ठगों का पता लगाने के साथ-साथ बुजुर्ग के ठगे गए पैसे वापस दिलाने के प्रयास में जुट गई है।
यह घटना जोधपुर में बढ़ रहे साइबर अपराधों की एक और भयावह मिसाल है। पुलिस ने आम जनता से अपील की है कि वे किसी भी अज्ञात व्यक्ति के फोन कॉल या संदेश पर भरोसा करने से पहले सावधानी बरतें और ऐसे किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत पुलिस को दें। पुलिस ने यह भी बताया कि इस तरह के मामलों में पुलिस कभी भी वीडियो कॉल के जरिए किसी को अरेस्ट करने या बैंक खाते से पैसा ट्रांसफर करने के लिए नहीं कहती है। इसलिए ऐसे किसी भी कॉल या संदेश पर भरोसा करने से पहले सावधानी बरतना बेहद ज़रूरी है।
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