पांच दिवसीय दीपोत्सव पर्व: कोलकाता की पवित्र गंगा मिट्टी से बने दीपक, पूजा में बनी रहती है पवित्रता, रोशन करेंगे मारवाड़ के घर-द्वार।
मिट्टी के कलात्मक दीपक बन रहे, दीपावली में लोगों की पहली पसंद।
जोधपुर। पांच दिवसीय दीपोत्सव पर्व के आगमन के साथ, सूर्य नगरी जोधपुर में पवित्र गंगा मिट्टी के कलात्मक दीपक लोगों की पहली पसंद बन रहे हैं। सामान्य दीपक की तुलना में, ये दीपक अपनी पवित्रता और मजबूती के कारण घरों में आकर्षण का केंद्र बनते जा रहे हैं।
जोधपुर मिट्टी से क्यों नहीं बनते कलात्मक दीपक
जोधपुर की मिट्टी बारीक और खुदरी होती है, जिस कारण इससे बनी मूर्तियाँ या दीपक आसानी से टूट जाते हैं। लेकिन गंगा की मिट्टी पवित्र होने के साथ-साथ मजबूत और चिकनी भी होती है। बाबूलाल प्रजापत, एक स्थानीय कारीगर, बताते हैं कि गंगा मिट्टी दीपक को कलात्मक आकार देने और उन्हें मजबूत बनाने में मदद करती है।
दीपावली के सामान को तैयार करने में लगता है एक साल
दीपावली के लिए इन दीपक को तैयार करने में पूरे एक साल का समय लगता है। इनको प्राथमिक आकार देने और रंगने में काफ़ी मेहनत लगती है। दीपावली से एक महीने पहले ये दीपक बाज़ारों में उपलब्ध होने लगते हैं।
कोलकाता के हावड़ा से कच्ची मिट्टी लाई जाती है, जिससे कलात्मक दीपक और अन्य सजावटी सामान बनाए जाते हैं। गुजरात के राजकोट, यमुना रामगढ़ आदि क्षेत्रों से भी मिट्टी मंगाई जाती है।
हस्तशिल्प कलाकारों का कहना
सुनील लोदवाल, एक स्थानीय हस्तशिल्प कलाकार, बताते हैं कि गंगा मिट्टी के दीपक की मांग लगातार बढ़ रही है। हिंदू धर्म में गंगा को पवित्र नदी माना जाता है, और ये दीपक अपनी पवित्रता के साथ-साथ आकर्षक डिजाइनों और रंगों के कारण लोगों का ध्यान खींच रहे हैं।
गंगा मिट्टी के दीपक में विशेषताएं
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