पानी की बर्बादी पर सख्त एक्शन
जोधपुर। राज्य मे गिरते भूजल स्तर की प्रभावी रोकथाम के लिए राज्य सरकार द्वारा विभिन्न सुधारात्मक कदम उठाये जा रहे है। इसी क्रम मे नये जल कनेक्शन के लिए आवासीय भूखण्ड जिनका क्षेत्रफल 225 वर्गमीटर या उससे अधिक हो तथा औघोगिक भूखण्ड जिनका क्षेत्रफल 500 वर्गमीटर या उससे अधिक हो। रेनवॉटर हार्वेस्टिंग इकाई का निमार्ण किया जाना अनिवार्य कर दिया गया है। जिन भूखण्डो का क्षेत्रफल 2500 वर्गमीटर या उससे अधिक हो। स्नानगार एवं रसोई के अपशिष्ट जल के रिसाईकिलिंग तथा पुनः उपयोग प्रणाली का निर्माण, तथा भूखण्डो का क्षेत्रफल 10 हजार वर्गमीटर या उससे अधिक होने पर रेनवॉटर हार्वेस्टिंग इकाई के साथ-साथ सीवरेज ट्रीटमेन्ट प्लांट स्थापित किया जाना एवं क्रियाशील होना अनिवार्य कर दिया गया है।
जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के मुख्य अभियंता (परियोजना) नीरज माथुर ने बताया कि राज्य में भूजल के उपयोग के लिए केन्द्रीय भू-जल विभाग द्वारा 24 सितंबर 2020 को जारी अधिसूचना के तहत बोरवेल के वैधन से पूर्व अनापत्ति प्रमाणपत्र लिया जाना आवश्यक कर दिया गया है, अन्यथा बोरवेल को सील करने की कार्यवाही तथा पर्यावरण संरक्षण एक्ट 1986 के तहत अन्य कार्यवाही प्रस्तावित की जा सकती है।
उन्होंने बताया कि राज्य मे बढते अवैध कनेक्शनो, बूस्टर का उपयोग तथा घरेलू जल का बढते वाणिज्यिक अथवा औघोगिक उपयोग की रोकथाम के लिए आमजन से सहयोग की अपेक्षा है, अन्यथा उनके विरूद्व पब्लिक प्रोपटी एक्ट 1984 के सेक्शन 3 (2), के तहत भारतीय न्याय संहिता 2023 के सेक्शन 303 (2) एवं 326 (ए) के तहत कठोर कार्यवाही तक की जा सकती है।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने भूजल सरंक्षण के लिए जिन बोरवेल का दोहन नही किया जा सकता उन्हे कृत्रिम भूजल पुर्नभरण इकाई के रूप में काम मे लिये जाने के आदेश प्रसारित किये है। अगर हम आज जल की बर्बादी रोकने के प्रयास नही करेंगे तो गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ेगा इसलिए इसे बचाने का प्रयास करना चाहिए तथा जल का सही तरीके से उपयोग कर इसे व्यर्थ नहीं होने देना चाहिए।
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